- कस्टम मिलिंग की राशि 120 से घटाकर 60 रुपए करने पर नहीं हुए राजी
रायपुर। प्रदेश में हुए करोड़ों के कस्टम मिलिंग घोटाले के बाद राज्य सरकार ने पूरी पॉलिसी ही बदल डाली। इसके विरोध में राइस मिलरों ने मिलिंग के लिए एग्रीमेंट करने से मना कर दिया है। साथ ही कस्टम मिलिंग की राशि 120 से घटाकर 60 रुपए प्रति क्विटल करने, राइस मिलों में कैमरा लगाने, रेकॉर्डिंग उपलब्ध नियमों पर नाराजगी जताई है। इसके चलते समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के बाद भी अब तक उठाव शुरू नहीं हो पाया है।
राइस मिलर्स का कहना है कि पिछली सरकार ने कस्टम मिलिंग की राशि 40 से बढ़ाकर 120 रुपए कर दिया था। इसे पहले की तरह ही यथावत रखा जाए। इन सभी मुद्दों को लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश राइस मिल एसोसिएशन की बुधवार को बैठक हुई। इस दौरान कस्टम मिलिंग के पुराने बकाया का भुगतान और खरीफ विवरण वर्ष 24-25 की पॉलिसी को लेकर चर्चा हुई। प्रदेश अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने मिलर्स को आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और मंत्रिमंडल के सदस्यों से मुलाकात कर समस्याओं से अवगत कराएंगे। साथ ही इसका निराकरण करने का अनुरोध करेंगे। बैठक में प्रदेश महामंत्री विजय तायल, प्रमोद जैन, संजय गर्ग, अमर सुल्तानिया, सहित सभी जिलों के पदाधिकारी उपस्थित थे।
तीन लाख टन धान की खरीदी
समर्थन मूल्य पर अब तक 3 लाख टन धान की खरीदी हो चुकी है। इस समय आवक और खरीदी की रफ्तार धीमी होने के कारण उठाव को लेकर ज्यादा परेशानी नहीं है। लेकिन, आवक बढ़ने और मिलिंग के लिए उठाव नहीं होने पर इसका सीधा असर धान खरीदी पर पड़ सकता है। बताया जाता है कि खाद्य विभाग के अधिकारी भी मिलर्स के विरोध के बाद बीच का रास्ता निकालने की कवायद में जुटे हुए हैं। हालांकि एसोसिएशन की ओर से धान का उठाव नहीं करने खुलकर विरोध नहीं किया गया है। लेकिन, अप्रत्यक्ष रूप से नई पॉलिसी के तहत कस्टम मिलिंग के लिए एग्रीमेंट नहीं करा रहे हैं।