रायपुर। नगर निगम द्वारा शासन द्वारा घोषित औद्योगिक क्षेत्रों में कोई भी मुलभूत सुविधाएं प्रदान नही की जाती है। वहां सड़क, पानी, बिजली आदि की सुविधाएं सी.एस.आई.डी.सी. द्वारा प्रदान की जाती है एवं इस हेतु लीज रेन्ट एवं मेन्टेनेंस चार्ज का भूगतान उद्योगो द्वारा सी.एस.आई.डी.सी. को किया जाता है व भूमि का मूल स्वामित्व भी सी.एस.आई.डी.सी. का ही है एवं उद्योग उस पर किराये पर है। फिर भी नगर निगम द्वारा बार-बार संपत्तिकर की नोटिस जारी की जा रही है जो कि न्यायसंगत नही है उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन पिछले कई वर्षो से इसका विरोध करता आ रहा है एवं माननीय मुख्यमंत्री महोदय से भी समय-समय पर औद्योगिक क्षेत्रों को नगर निगम की सीमा से बाहर रखने की मांग करता रहा है। उरला औद्योगिक क्षेत्र को सन 2003 में राज्य शासन द्वारा नगर पालिका की सीमा से बाहर किया गया था परन्तु सन 2009 में किन्ही राजनितिक कारणों के कारण नगर निगम की सीमा में जोड दिया गया।
एक देशव्यापी सर्वे में यह स्पष्ट हुआ है कि स्थानीय निकायों की रुचि केवल और केवल राजस्व उगाही में होती है एवं इसका बड़ा हिस्सा उनके आंतरिक खर्चो जैसे वेतन, कार्यालय खर्च आदि में ही समाप्त हो जाता है जिससे उद्योगो के लिए उचित अधो-संरचना विकास में असफल रहें हैै साथ ही उद्योगो में स्थानिय निकायों एवं स्थानिय स्तर की राजनीति हस्तक्षेप बढ़ जाता है, जिसके चलते उद्योगो और स्थानिय निकायों में टकराव प्रारंभ होता है एवं देश का औद्योगिकीकरण प्रभावित होने लगता है। इन्ही कारणों से देश के विभिन्न राज्यों की मांग पर भारत की संसद ने सभी स्थानिय निकायों से पृथक इंडस्ट्रीयल टॉउनशिप की अवधारणा संविधान के आर्टिकल 243फ के तहत 01 जुन 1993 से पूरें भारत देश में लागू कर दी गयी। हमारे देश के प्रगतिशील राज्यों जैसे तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान, केरल, मध्यप्रदेश इत्यादि ने औद्योगिक क्षेत्रों को स्थानिय निकायों से पृथक रखते हुए इंडस्ट्रीयल टॉउन शिप का गठन की प्रक्रिया चालु कर दी है। एवं संपत्तिकर से छुट प्रदान की जा रही है। राजस्थान सरकार ने दोहरे करारोपण को रोकने हेतु सन 2011 में रीक्को औद्योगिक क्षेत्र को नगरीय विकास कर के भुगतान से छुट प्रदान की है। छ.ग. की नवीन उद्योग पॉलिसी 2019-24 एवं छ.ग. म्युन्सिपल कॉर्पोरेशन एक्ट् 1961 में भी शासन द्वारा घोषित औद्योगिक पार्को को स्थानिय निकायों से पृथक रखने का प्रोविजन किया गया है।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की मांग पर अधिकारियों को आदेशित भी किया था कि इस विषय पर अध्ययन कर उचित पॉलिसी बनायी जाये। इस हेतु उद्योग विभाग एवं उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि मंडल ने तेलंगाना जाकर वहां गठित इंडस्ट्रीयल टॉउनशिप (IlA) का अध्ययन भी किया था। परंतु अभी तक छ.ग. में यह कार्यन्वित नही हुआ है।
हमारे प्रदेश के मुखिया ने गांव-गांव एवं शहरों में विभिन्न प्रकार के छोटे बड़े उद्योगो की स्थापना एवं स्वरोजगार हेतु अनुकुल उद्योग पॉलिसी बनाकर एवं EAS OF DOING BUSINESS के तहत प्रदेशवासियों को प्रोत्साहित किया है, इसके विपरीत नगर निगम द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों में बार-बार संम्पत्ति कर की नोटिस जारी की जा रही है एवं बीरगांव नगर निगम ने उरला इंडस्ट्रीयल एरिया में संम्पत्तिकर की अंतिम डिमांड नोटिस जारी की है एवं नोटिस में कुर्की किये जाने की बात कही जा रही है। जिससे उद्योग जगत में भय का माहौल निर्मित हो गया है। सुक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगो को लगभग उनके पुंजीनिवेश के बराबर संपत्तिकर की राशि की डिमांड आ रही है। ऐसी स्थिति में उद्योग लगभग बंद होने की कगार पर है एवं उद्योगपति अन्य राज्यों में उद्योग स्थानांतरित करने का विचार कर रहें है ऐसी परिस्थिति में राज्य के उद्योगो में कार्यरत लाखों श्रमिक बेरोजगार हो जायेगें एवं राज्य शासन को उद्योगो से मिलने वाले राजस्व का भी भारी नुकसान होगा एवं अन्य राज्यों के उद्योगपति भी छ.ग. में पूंजीनिवेश करने से कतरायेगें।
उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अश्विन गर्ग ने प्रदेश के उद्योगो को बंद होने/पलायन करने से रोकने हेतु माननीय मुख्यमंत्री जी से पत्र के माध्यम से पुनः सादर निवेदन किया है कि तत्काल हस्तक्षेप कर नगर निगम की कुर्की की प्रक्रिया को रोका जाये एवं राज्य शासन द्वारा घोषित औद्योगिक क्षेत्रों को नगर निगम की सीमा से अलग रखते हुए इंडस्ट्रीयल टॉउनशिप का तत्काल गठन किया जाये।