रायपुर। वंदना कोटक को भारतीय पेटेंट एजेंट की अधिकृत मान्यता मिल गई है। वे यह मान्यता हासिल करने वाली छत्तीसगढ़ की पहली और देश में एकमात्र महिला एजेंट हैं।
वंदना ने बताया कि अधिकृत एजेंट के रूप में वे किसी व्यक्ति या संस्था के आविष्कार, डिजाइन या मोनो को इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (आईपीआर) के तहत सुरक्षित रखने के लिए मसौदा तैयार कर भारत सरकार के नियंत्रक पेटेंट अधिकारी को प्रस्तुत कर सकती हैं, साथ ही आगे की कार्यवाही के लिए आविष्कारकर्ता का प्रतिनिधित्व भी करती हैं।
नागपुर विश्वविद्यालय से एम. फार्मा की डिग्री प्राप्त करने वाली वंदना ने बताया कि भारतीय पेटेंट एजेंट बनने के लिए करीब छह-सात दिन की ट्रेनिंग लेनी पड़ती है, इसके बाद इसकी बकायदा परीक्षा होती है। ट्रेनिंग कोर्स के दौरान ही परीक्षा की विषय सामग्री और सिलेबस उपलब्ध करा दिया जाता है। यह परीक्षा देश के महानगरों में ही आयोजित होती है। उन्होंने भारतीय पेटेंट एजेंट बनने के लिए चयन परीक्षा नागपुर सेंटर से दी थी। छत्तीसगढ़ में इस परीक्षा के लिए फिलहाल कोई सेंटर नहीं है।
उन्होंने बताया कि एजेंट के तौर पर उनका कार्यक्षेत्र पूरा भारत देश है। वे किसी भी राज्य या क्षेत्र में जाकर आविष्कारकर्ता से उनके आविष्कार, मोनो अथवा डिजाइन को पेटेंट दिलाने की कार्यवाही कर सकतीं हैं। उन्होंने बताया कि किसी भी आविष्कार, एक्सक्लूसिव मोनो या डिजाइन को लेकर वह आविष्कारकर्ता से अधिकाधिक जानकारी हासिल करतीं हैं। उससे मिलने वाले प्रतिफल या आमजन को होने वाले फायदे का विश्लेषण करतीं हैं और यह सुनिश्चित करतीं हैं कि इससे पहले आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ है। संतुष्ट होने के बाद ही भारत सरकार के नियंत्रक पेटेंट अधिकारी के समक्ष उसे नियमानुसार मसौदा तैयार कर प्रस्तुत करती हैं।
महाराष्ट्र मंडल के आजीवन सदस्य हरीश कोटक की सुपुत्री वंदना ने कहा कि उनकी प्राथमिकता और प्रयास भारत देश के आविष्कारक को उनके आविष्कार, एक्सक्लूसिव मोनो और डिजाइन के लिए पेटेंट दिलाने का है। विश्व स्तर पर पेटेंट हासिल करने के लिए इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ पेटेंट की अलग व्यवस्था है। वंदना की इस उपलब्धि पर महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय काले, सचिव चेतन दंडवते सहित पूरी कार्यकारिणी ने उन्हें बधाई दी है और इसे ना केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत देश के लिए उपलब्धि और गौरव बताया है।
