कोरबा। आने वाले सालो में कोयला उत्पादन के क्षेत्र में कोल इंडिया का दबदबा समाप्त होता नजर आ रहा है। इसकी वजह कमर्शियल कोल माइनिंग है। केंद्र सरकार ने अब तक अलग-अलग राज्यों में कमर्शियल कोल माइनिंग के लिए 86 खदानों की नीलामी की है। इनमे छत्तीसगढ़ की गारे पलमा और शेरबंद सहित अन्य खदाने शामिल है।
कोयला मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने कमर्शियल कोल माइनिंग और कैप्टिव पॉवर प्लांटों के लिए छत्तीसगढ़ सहित अलग-अलग राज्यों में 99 ब्लॉक को नीलाम किया जिसमे 86 ब्लॉक कमर्शियल कोल् माइनिंग के लिए है। हालांकि केंद्र सरकार कि ओर से ये नहीं बताया गया है कि नीलाम किये गए कोल ब्लॉक में कोयला खनन प्रारम्भ हुई है। केवल इतनी जानकारी सामने आयी है 55 कोल ब्लॉक को प्रारम्भ करने कोयला मंत्रालय की ओर से अनुमति दे दी गयी है।
कोल ब्लॉक की नीलामी से सबसे अधिक राजस्व छत्तीसगढ़ शासन को मिला है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2020 -21 में छत्तीसगढ़ शासन को 28 करोड़ 78 लाख रुपये प्राप्त हुए थे। यह 2022-23 में बढ़कर 481 करोड़ 54 लाख हो गए। वित्तीय वर्ष 2021-22 में कोल ब्लॉक की नीलामी से 14करोड़ 93 लाख रुपये प्राप्त हुए थे। कमर्शियल कोल् माइनिंग के लिए नीलाम किये गए ब्लॉक से उत्पादन शुरू होने पर सीधा असर कोल इंडिया पर पड़ना तय माना जा रहा है। बोली लगाकर कोल ब्लॉक खरीदने वाली कंपनियां खदान से कोयला निकलकर बाजार में बेच सकेंगी। सरकार ने कैप्टिव प्लांटों को उपयोग के बाद शेष बचे कोयले को बेचने का अधिकार दिया है। इसका सीधा असर आने वाले दिनों में कोल इंडिया पर पड़ना तय है। सरकार चरणबद्ध तरीको से कोल ब्लॉक को नीलाम कर रही है। कोयला खनन को निजी हाथों को सौंप रही है ताकि देश में कोयले की जरुरत पूरी की जा सके। कोयला खनन में अपने मजबूत इरादों से ऊँची बोली लगाकर आउटसोर्सिंग पर खनन करने वाली गुजरात की कंपनी नीलकंठ ने हासिल किया धरमजयगढ़ का शेरबंद कोल ब्लॉक। इस ब्लॉक में लगभग 90 मिलियन टन कोयले का अनुमानित भंडार है। नीलकंठ माइनिंग अभी एसईसीएल के अधीन मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा में मिट्टी और कोयला खनन का काम करती है। गुजरात की इस कंपनी ने छत्तीसगढ़ कोल में अपनी ऊँची बोली लगाकर उपस्थिति दर्ज कराई है।