रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सरसंघचालक छत्तीसगढ़ यात्रा पर हैं। 28 दिसम्बर को उन्होंने विभिन्न दार्शनिक विषयों पर दार्शनिक एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ चर्चा की। इस दौरान पूजनीय सरसंघचालक ने सेवा कार्य पर अलोकतांत्रिक पदाधिकारियों का मार्गदर्शन किया। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विचार परिवार द्वारा समाज के सहयोग से अनेक सेवा प्रकल्प संचालित किये जा रहे हैं।
सर्व धर्म सम वृत्तिः सर्व जाति सम मतिः। सर्व सेवा परिणति रीतिः संघस्य पद्धति।
यानी सभी धर्मों के साथ समान विचारधारा, सभी लोगों के साथ समानता की मति बुद्धि, सभी लोगों के साथ परायणता का व्यवहार संघ की पद्धति है। सेवा को मानव धर्म भी कहा जाता है। हमारे धर्म ग्रन्थों में सेवा के उदाहरण प्राप्त होते हैं। सेवा धर्म है, मेरे जीवन से सभी का जीवन सुखी हो, निरामय हो, मनुष्य की यही संकल्पना है। यह हमारी प्राचीन परंपरा का आख्यान है। आपके साथ लोकसुख, सुरक्षित बनाना ही मानव धर्म है। यदि केवल अपने हित की चिंता की तो वह धर्म नहीं है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के मूल में भी सेवा का प्रमुख भाव है। आद्य सरसंघ चालक पूजनीय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी के मन में देश की दुर्दशा को देखकर पीड़ा थी, यही कारण है कि संघ अपने जन्म के साथ ही सेवा रूप लेकर आया है। 1925 में संघ की स्थापना हुई। मार्च 1926 में राम नवमी के अवसर पर रथयात्रा में स्वयंसेवकों ने सेवा की थी। यह आत्मीयता की भावना ही थी, हमारा व्यक्तिगत साथ आत्मीयता का संबंध है। स्वयंसेवक अपने आस-पास के लोगों के दुःख, दरिद्रय, अभाव को दूर करने का प्रयास करें।
छत्तीसगढ़ में चल रहे सेवा के अनेक विकल्प
छत्तीसगढ़ में केवल सेवा भारती द्वारा 99 सेवा प्रकल्प संचालित किये जा रहे हैं। इनमें रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, अंबिकापुर, दुर्ग, राजनंदगांव, जगदलपुर में संचालित मातृछाया प्रमुख हैं। यहां ऐसे बच्चों को आश्रय दिया जाता है, जिनके माता-पिता नहीं हैं या जिनमें शामिल हैं, उन्हें संरक्षण दिया जाता है। इनमें बच्चों के भोजन, कपड़े, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं मनोरंजन की उत्कृष्ट व्यवस्था मातृछाया में समाज के सहयोग से प्रदान की जाती है। इसके साथ ही 7 अलग-अलग जगहों पर कन्या विदेशी और 2 जगहों पर आश्रय गृह संचालित किये जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ प्रांत में 59 संस्कार केंद्र भी संचालित हो रहे हैं। इन संस्कारों में बच्चों को स्वतंत्रता, श्रेष्ठ आचरण, राष्ट्र भक्ति, भोजन मंत्र के साथ सामूहिकता आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। सेवा भारती द्वारा प्रांत में 11 किशोरी विकास केन्द्र भी संचालित किये जा रहे हैं। इसी तरह अंग्रेजी माध्यम स्कूल, सिया सेंटर, कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर, हेल्थ पैथलैब एवं पॉलीक्लिनिक का संचालन भी अलग-अलग स्थानों पर हो रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता शाखा के माध्यम से भी समाज के सहयोग से सेवा कार्य संचालित किये जाते हैं। सेवा शिक्षण कार्य को पांच निगमों में विभाजित किया गया है…
1.सेवा संस्कार-1
इन साप्ताहिक सेवा दिवस पर सुभाषित, अमृत, गीत के सिद्धांतों को अपनाया जाता है।
2. सेवा संस्कार-2
इसी तरह सेवा कार्य और प्रकल्प की जानकारी, सेवा कथा, महापुरुषों के जीवन का स्मरण, अनुभव वर्णन, और शाखा में समानता की चर्चा होती है।
3. सेवा बस्ती संपर्क
शाखा के माध्यम से सेवा व्यवसाय संपर्क कार्यक्रम भी संचालित होता है।
4. सेवा कार्य वाली शाखा
शाखा द्वारा दैनिक एवं साप्ताहिक ऑटोमोबाइल सेवा कार्य संचालित किये जाते हैं। रायपुर विभाग में ऐसी ही एक कंपनी है, जिसमें प्लांट वालों की संख्या 61 है।
5. सेवा निगम शाखा
ऐसे उपकरणों को शामिल किया जाता है, जो साल में न्यूनतम दो सेवा निगम शामिल करता है। रायपुर में ऐसे सामानों की संख्या 54 है, जबकि रायगढ़ में 82 और दुर्ग में 77 है। (आरोग्य शिविर, शिक्षा उपयोगी साहित्य वितरण, बस्ती में सहभोज, महापुरुष पुण्यस्मरण, भजन आदि)