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अब नहीं होगा सरकारी कंपनियों का प्राइवेटाइजेशन

  • सरकारी कर्मचारियों के लिये गुड न्यूज, अब नहीं होगा Privatisation! सुधारी जाएगी कंपनियों की हालत
  • सरकार की योजना 200 सरकारी कंपनियों की स्थिति को सुधारने की है। इनके लिए लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस और प्रोडक्शन टार्गेट्स तय किये जाएंगे।

नईदिल्ली। केंद्र सरकार अब सरकारी कंपनियों को निजी कंपनियों व उद्योगपतियों के हाथों बेचने (प्राइवेटाइजेशन) की बजाय उनकी मुनाफा सुधारने और उससे राजस्व कमाने पर जोर दे सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार अब प्राइवेटाइजेशन प्रोग्राम को ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी कर रही है। मोदी सरकार ने सरकारी कंपनियों के निजीकरण के लिए महत्वाकांक्षी योजना बनाई थी। माना जा रहा था कि तीसरी बार सरकार बनने पर इसे तेजी से आगे बढ़ाया जा सकता है। लेकिन अब सरकार ने इस योजना से पीछे हटने का संकेत दिया है। रिपोर्ट में सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार 200 से ज्यादा सरकारी कंपनियों का मुनाफा सुधारने की योजना पर काम कर रही है।

क्या है सरकार की तैयारी – सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को पेश होने वाले आम बजट में नई योजना की घोषणा कर सकती है। इसमें कंपनियों के पास मौजूद बिना उपयोग वाली जमीन का एक बड़ा हिस्सा बेचना और अन्य एसेट्स का मॉनिटाइजेशन शामिल है। इसका मकसद चालू वित्तीय वर्ष 2024-24 में 24 अरब डॉलर यानी करीब 2 लाख करोड़ रुपए जुटाना और इन्हें फिर से पीएसयू कंपनियों में निवेश करना है। नई योजना के तहत प्रत्येक सरकारी कंपनी के लिए अल्पकालिक लक्ष्यों के बजाय 5 साल का प्रदर्शन और उत्पादन लक्ष्य तय किया जा सकता है।