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महाकुंभ के पानी की शुद्धता पर एनजीटी की सुनवाई आज

  • सीपीसीबी का दावा पानी नहाने लायक नहीं

नई दिल्ली। प्रयागराज महाकुंभ में स्नान करने की होड़ के बीच नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) गंगा-यमुना संगम के प्रदूषण के मामले में बुधवार को सुनवाई करेगा। हालांकि, अब तक महाकुंभ में 55 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं और करोड़ों लोग अब भी स्नान के लिए पहुंच रहे है। एनजीटी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें संगम जल में खतरनाक बैक्टीरिया पाए जाने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि वहां सीवेज के पानी को रोकने के कोई उपाय नहीं किए गए है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पिछले दिनों एनजीटी को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें खतरनाक बैक्टीरिया फेकल कोलीफॉर्म (एफसी) पाए जाने की बात कही गई है और पानी को स्नान करने योग्य नहीं माना गया है। एनजीटी ने दर्ज किया कि उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपी पीसीबी) उसके आदेश का पालन नहीं कर रहा है और उसने कोई कार्रवाई रिपोर्ट पेश नहीं की है। एनजीटी ने यूपी पीसीबी के सदस्य सचिव और पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार प्राधिकरण को बुधवार की सुनवाई में वर्चुअल रूप से पेश होने का निर्देश दिया है।

बैक्टीरिया सांद्रता काफी ज्यादा

सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार, महाकुंभ मेले के दौरान नदी में बड़ी संख्या में लोग स्नान करते हैं, जिससे फेकल सांद्रता में वृद्धि होती है। सीपीसीबी ने दावा किया कि विभिन्न अवसरों पर बैक्टीरिया की सांद्रता काफी ज्यादा थी। यह मुख्य रूप से मानव व पशु मल से आता है। इससे जलजनित रोग (टाइफाइड, डायरिया, हैजा आदि) फैल सकते हैं। स्नान के पानी में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर 2500 एमपीएन/100 एमएल से अधिक नहीं होना चाहिए।