रायपुर। स्वास्थ्य के निजी अस्पतालों में सेवा दे रहे सरकारी डॉक्टरों के काम नहीं करने संबंधी शपथ-पत्र मांगने के आदेश पर आईएमए बिफर गया है। उनका कहना है कि इस आदेश के बाद निजी अस्पतालों की सेवाएं भी प्रभावित होने की आशंका है। अगर डॉक्टर एनपीए नहीं ले रहा है और निजी अस्पतालों में प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहा है तो इसमें गलत क्या है? आईएमए के अनुसार, ऐसे आदेश से प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधा गड़बड़ा सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि एनपीए का नियम, तब बनाया गया, जब राजधानी में गिने-चुने निजी अस्पताल थे। ऐसे में यह प्रासंगिक व प्रेक्टिकल नहीं है।