- पांच साल में नौकरियों एवं आवश्यकताओं में होगा बड़ा बदलाव
नई दिल्ली। भारतीय कंपनियां कृत्रिम मेधा (एआइ) समेत नई तकनीकों को अपनाने में बाकी दुनिया से आगे निकलने की तैयारी में हैं। भारतीय कंपनियों में 35 फीसदी मानती हैं कि सेमीकंडक्टर्स और कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी उनके बिजनेस को पूरी तरह बदल सकती हैं, जबकि दुनियाभर में ऐसा मानने वाली कंपनियां सिर्फ 20 फीसदी हैं। इसी तरह 21 फीसदी भारतीय नियोक्ता क्वांटम और एन्क्रिप्शन तकनीक को अहम मानते हैं, जबकि दुनिया में यह आंकड़ा 12 फीसदी है। यह खुलासा बुधवार को जारी विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स 2025’ रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कंपनियां एआइ, रोबोटिक्स और ऊर्जा तकनीक जैसे क्षेत्रों में जमकर निवेश कर रही हैं।
2. नौकरियों में भारत की युवा आबादी का बड़ा योगदान रहेगा। आने वाले समय में ग्लोबल वर्कफोर्स में भारत और अफ्रीका जैसे देशों से दो-तिहाई लोग शामिल होंगे।
3. एआइ स्किल्स की डिमांड में भारत और अमरीका शीर्ष पर हैं। फर्क यह है कि अमरीका में लोग खुद इसकी पढ़ाई में दिलचस्पी ले रहे हैं, जबकि भारत में कॉर्पोरेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को एआइ सिखाने के लिए निवेश कर रही हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि करीब 40 % मौजूदा स्किल्स में बदलाव की जरूरत होगी। 63% नियोक्ता मानते हैं कि यही उनके बिजनेस को बदलने में सबसे बड़ा रोड़ा है। भविष्य की नौकरियां उन्हीं के पास होंगी, जो नई तकनीक और स्किल्स को अपनाने के लिए तैयार हैं। भारत इस रेस में न सिर्फ शामिल है, बल्कि कई मायनों में आगे भी है।