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छोटी-मोटी अनियमितता या घटना होने पर उद्योगपतियों को अब नहीं होगी जेल, लगेगा जुर्माना

रायपुर। विधानसभा में शुक्रवार को अहम विधेयक आए। इनमें लेबर एक्ट से जुड़ा श्रम कानून संशोधन और विविध प्रावधान विधेयक भी है जो पारित हो गया। इसके मुताबिक छत्तीसगढ़ में अब उद्योगों में छोटी-मोटी अनियमितता या घटना होने पर उद्योगपतियों को दो साल की सजा नहीं होगी। उन पर केवल जुर्माना लगाया जाएगा। इसके लिए लेबर एक्ट में महत्वपूर्ण बदलाव किए जा रहे हैं।

इस बदलाव से राज्य में उद्योगों को काम करने में आसानी होगी वहीं नए उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। बता दें कि राज्य के मौजूदा एक्ट में कारखाने का पंजीयन नहीं कराने पर फैक्ट्री के मालिक को 2 साल के कारावास या एक लाख रुपए जुर्माना देना पड़ता है। इसके बाद उल्लंघन करने पर 1 हजार रुपए प्रति दिन के हिसाब से अतिरिक्त जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन नए एक्ट में कारखाने का पंजीयन नहीं कराने पर कारावास संबंधी प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। अब न्यूनतम 2 लाख से अधिकतम 3 लाख रुपए तक देना होगा। हालांकि, इसके बाद भी उल्लंघन हुआ तो जुर्माने की राशि को बढ़ाकर 2 हजार रुपए प्रति दिन कर दिया गया है।

शिकायत करने की सीमा अब 6 माह

नए एक्ट में किसी अपराध पर तीन महीने के स्थान पर अब 6 महीने के अंदर परिवाद दायर करने की सुविधा दी गई है। इससे कारखाना निरीक्षक को प्रकरणों के परीक्षण एवं न्यायालयीन प्रक्रिया के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। लेबर एक्ट नियामक आयोग की तरह काम करता रहा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए एक्ट में बदलाव कर नियमों को उद्योगों के मददगार बनाने की दिशा में काम हो रहा है। फैक्ट्री लाइसेंस जिनके पास है और जिनके पास लाइसेंस नहीं है, ऐसे सभी उद्योगों को इस कानून के दायरे में काम करने के लिए अनुकूल माहौल दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में निवेश को बढ़ावा देने और औद्योगिक विकास में तेजी लाने के लिए यह बदलाव किया जा रहा है।

हड़ताल करने के डेढ़ माह पूर्व देनी होगी सूचना

लेबर एक्ट में लोक उपयोगी सेवा के स्थान पर औद्योगिक प्रतिष्ठान शब्द जोड़ दिया गया है। इससे सभी औद्योगिक प्रतिष्ठानों में हड़ताल या तालाबंदी करने से पहले श्रमिक पक्ष एवं प्रबंधन पक्ष को कम से कम डेढ़ महीने पहले सूचना देना होगा। इस संशोधन से औद्योगिक प्रतिष्ठानों में अवैधानिक हड़ताल एवं तालाबंदी में कमी आएगी। नए एक्ट में 300 से कम श्रमिकों वाले संस्थानों में कामबंदी, छंटनी के प्रावधान से छूट दिया गया है।