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अब चार से तीन होंगे GST स्‍लैब! 12% की दर को हटाने की तैयारी; जानें क्‍या होगा सस्‍ता और क्‍या महंगा?

  • 12% GST Slab: जीएसटी काउंस‍िल की अगली मीट‍िंग जून के अंत या जुलाई में हो सकती है. इस मीट‍िंग के दौरान 12 प्रत‍िशत के स्‍लैब को खत्‍म करने पर फैसला ल‍िया जा सकता है. ज‍िसके बाद कुछ चीजें सस्‍ती होंगी और कुछ महंगी।
  • जरूरी चीजों को 5% के स्लैब में रखे जाने की उम्‍मीद

अभी देश में जीएसटी के चार स्‍लैब (5%, 12%, 18% और 28%) हैं. जीएसटी काउंस‍िल की तरफ से अगली मीट‍िंग में जीएसटी (GST) स्‍लैब को आसान करने के ल‍िए बड़ा कदम उठाया जा सकता है. सूत्रों के अनुसार काउंस‍िल चार स्लैब से घटाकर इसके तीन स्‍लैब करने पर विचार कर रही है. काउंस‍िल की तरफ से 12% की दर को हटाने का प्रस्ताव तैयार क‍िया जा रहा है. यह कदम टैक्‍स स्‍ट्रक्‍चर को आसान बनाने के लि‍ए उठाए जाने की उम्‍मीद है. सूत्रों का दावा है क‍ि जीएसटी काउंस‍िल के सलाहकार अधिकारियों के बीच इस बात पर लगभग सहमति बन चुकी है क‍ि 12% स्लैब अब ज्यादा प्रासंगिक नहीं है।

एचटी में प्रकाश‍ित खबर के अनुसार आम लोगों के इस्‍तेमाल की जरूरी चीजों को 5% के स्लैब में रखा जा सकता है. बाकी चीजों को 18% के स्लैब में श‍िफ्ट क‍िया जा सकता है. एक सूत्र ने बताया ‘यह रेवेन्‍यू को प्रभावित किये ब‍िना टैक्‍स दरों को आसान बनाने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है. हालांकि, इस पर क‍िसी भी प्रकार का अंतिम फैसला जीएसटी काउंस‍िल की तरफ से ल‍िया जाएगा.’ जीएसटी काउंस‍िल की अगली मीट‍िंग जून के अंत या जुलाई में हो सकती है. जीएसटी काउंस‍िल में केंद्रीय वित्त मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं. आखिरी बार मीट‍िंग दिसंबर 2024 में हुई थी।

कब होगी जीएसटी काउंस‍िल की मीट‍िंग?
जून या जुलाई में होने वाली मीट‍िंग में दरों को आसान करने के साथ ही इसका अनुपालन सुन‍िश्‍च‍ित करने के साथ ही दूसरे मामलों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है. जीएसटी की दरों को आसान करने के लि‍ए मंत्रियों का ग्रुप (GoM) 24 सितंबर 2021 को 45वीं जीएसटी काउंस‍िल की मीट‍िंग में बनाया गया था. इस ग्रुप का नेतृत्व पहले कर्नाटक के पूर्व सीएम बसवराज एस बोम्मई कर रहे थे. बाद में नवंबर 2023 में यूपी के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्‍ना को यह जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद 27 फरवरी 2024 को बिहार के ड‍िप्‍टी सीएम सम्राट चौधरी इसके संयोजक बने।

12% स्लैब में क्या-क्या शामिल?
अभी देश में चार जीएसटी स्लैब 5%, 12%, 18% और 28% के हैं. अभी जरूरत की चीजों पर कम टैक्‍स और विलासिता की वस्तुओं पर टैक्‍स ज्यादा रखा जाता है. गरीबों के ल‍िए बिना पैकिंग वाले खाद्य पदार्थ, नमक, दूध, ताजी सब्जियां, शिक्षा और हेल्‍थ सर्व‍िस पर क‍िसी तरह का टैक्‍स नहीं है.

12% के टैक्‍स स्लैब में आने वाली चीजें

  • गाढ़ा दूध, कैवियार, 20 लीटर की बोतल में पैक पीने का पानी
  •  वॉकी-टॉकी, टैंक और बख्तरबंद वाहन, कॉन्टैक्ट लेंस
  • पनीर, खजूर, सूखे मेवे, सॉस पास्ता, जैम, जेली, फलों के रस से बने पेय, नमकीन
  • दांतों का पाउडर, फीडिंग बोतल, कालीन, छाता, टोपी
  • साइकिल, घरेलू बर्तन, लकड़ी या बांस के फर्नीचर
  •  पेंसिल, क्रेयॉन, जूट या कपास के बैग और 1000 रुपये से कम कीमत के जूते
  •  डायग्नोस्टिक किट, संगमरमर और ग्रेनाइट ब्लॉक

जानकारों की राय
जानकारों का कहना है 12% स्लैब हटाने के विचार अच्‍छा है. ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा, ‘आगामी जीएसटी काउंस‍िल की मीट‍िंग में टैक्‍स स्‍लैब को आसान करने पर फोकस क‍िया जाएगा. 12% स्लैब को हटाकर तीन दरों करने से काम आसान होगा. इस बदलाव में रेवेन्‍यू को प्रभावित नहीं होने देना जरूरी है. 12% स्लैब में आम आदमी की जरूरत और इंडस्‍ट्र‍ियल सामान शामिल हैं. इन्हें 5% या 18% स्लैब में ले जाने से रेवेन्‍यू पर असर पड़ सकता है. 12% से 18% स्लैब में जाने वाली चीजों की कीमतें बढ़ सकती हैं।

क्‍या सस्‍ता होगा और क्‍या महंगा होगा?
जीएसटी काउंस‍िल की मीट‍िंग में यदि 12 प्रत‍िशत के टैक्‍स स्‍लैब को हटाने का फैसला क‍िया जाता है तो इसके तहत आने वाली चीजों को 5 और 18 प्रत‍िशत के स्‍लैब में श‍िफ्ट क‍िया जाएगा. 12 से 5 प्रत‍िशत के स्‍लैब में जाने वाली चीजें जैसे मसाले और केरोस‍िन आद‍ि सस्‍ते होने की उम्‍मीद है. दूसरी तरफ 12 से 18 प्रत‍िशत के स्‍लैब में जाने वाली चीजें जैसे ड‍िटरजेंट और प्‍लास्‍ट‍िक के सामान आद‍ि महंगे हो सकते हैं।

क्‍यों जरूरी है बदलाव
कई विकसित देशों में जीएसटी के एक या दो स्‍लैब लागू हैं. यद‍ि तीन टैक्‍स स्‍लैब के स्‍ट्रक्‍चर को अपनाया जाता है तो भारत ग्‍लोबल मानकों के करीब पहुंच सकता है. जानकारों का कहना है कि जीएसटी रेवेन्‍यू में लगातार इजाफे से दरों को आसान करने की जरूरत हो गई है. साल 2024-25 में कुल जीएसटी रेवेन्‍यू 9% से ज्‍यादा बढ़कर 22,08,861 करोड़ रुपये हो गया. यह 2023-24 में 20,18,249 करोड़ रुपये था. मौजूदा फाइनेंश‍ियल ईयर में अप्रैल 2025 में रिकॉर्ड 2,36,716 करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ है. मई 2025 में भी 2,01,050 करोड़ रुपये का रेवेन्‍यू आया, यह अब तक का तीसरा सबसे बड़ा कलेक्शन है।